Tuesday, February 24, 2009

व्यवस्था में कमी पर लिखेंगें तो भी क्या मान हानि आड़े आएँगी

व्यवस्था में कमी पर लिखेंगें तो भी क्या मान हानि आड़े आएँगी

किसी का मन दुखाना हमारा मकसद न हो, किसी के सम्मान को हनी पहूचना हमारा इरादा न हो, और व्यवस्था की कमी को इंगित करना हमारा लक्ष्य हो तो क्या कोई मान हानि लगेंगी। व्यवस्था में कमी पर लिखेंगें तो भी क्या मान हानि आड़े आएँगी? ये प्रश्न मेरे जेहन में उठा रहा है और मुझे परेशां कर रहा हैं।
इस मामले में क्या?

4 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

aise maan hani hone lagi to media ke the end ho jayega. narayan narayan

Sanjay Grover said...

Sabse zyada MAAN be-eMAAN meN hota hai.

Yogesh Verma Swapn said...

aapne khud kaha kisi ko dukh pahynchana hamara maksad na ho, phir kya chinta hai bekhauf likho.

रचना गौड़ ’भारती’ said...

ब्लोगिंग जगत मे स्वागत है
शुभकामनाएं
भावों कि अभिव्यक्ति मन को सुकून पहुचाती है
लिखते रहिये लिखने वालों कि मन्ज़िल यही है
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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